Day: November 27, 2020

सामाजिक दृष्टिकोण से इस वर्ष का 5223 वीं जरासंध जयंती रहा ऐतिहासिक

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ऑल इंडिया चंद्रवंशी युवा एसोसिएशन द्वारा 25 नवम्बर को देश के विभिन्न हिस्सों में 5223 वीं जरासंध जयंती बड़ी धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया गया। बिहार, झारखंड़ जैसे चंद्रवंशी बहुल क्षेत्रों के अलावे बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुम्बई, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान में भी जरासंध जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित राजन चंद्रवंशी ने जरासंध जयंती को बिहार के जहानाबाद जिला व अरवल जिला के विभिन्न पंचायतों में शामिल होकर मनाया और लोगों का उत्साह बढ़ाया। इस दौरे में उत्तरप्रदेश संयोजक आनन्द चंद्रवंशी, जिला सचिव रजनीश चंद्रवंशी व अन्य शामिल रहें। उन्होंने पदाधिकारी से इसी उत्साह के साथ हरवर्ष मनाने की अपील की तथा समाज को शिक्षा व सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सम्राट जरासंध के स्वर्णिम इतिहास को लोगों को बताते हुए कहा कि सम्राट जरासंध जब दो माँ को गर्भ से आधा-आधा पैदा लिए, तो राजा ने उसे व्यर्थ समझकर वन में फिकवा दिया। जिसे माँ दुर्गा के 48 वें अवतार वनदुर्गा के रूप में अपना नाम जरा बताते हुए जोड़ कर एक कर दिया गया था। जिस दिन जरासंध का जन्म हुआ व मगध नरेश राजा वृहदर्थ को अपना उत्तराधिकारी मिला था, वह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का एकादशी था। इस खुशी में जरासंध के पिता राजा वृहदर्थ ने यह घोषणा की कि जरासंध का जन्मदिन एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा, जिसे “देवोत्थान” कहा जाएगा। जिसका अपभ्रंश जेठान है। इस दिन ईख (केतारी) के डाढ़ को झाड़ के साथ इस मान्यता के साथ चढ़ाया जाता है को झाड़युक्त डाढ़ जितना लंबा होगा उतना ही उसका वंश का विस्तार होगा। इस दिन मगध के साथ साथ पूरे बिहार में गन्ने को चुसकर मूँह मिठा किया जाता है। संगठन ने इस पावन अवसर पर सरकार से अपिल की, कि इस दिन को राज्यकीय अवकाश घोषित करें ताकि हिंदुत्व की परंपराओं का समाज में समुचत समावेश हो सके।

राष्ट्रीय सचिव ई. ब्रजेश चंद्रवंशी ने कहा कि इस बार का जरासंध जयंती ऐतिहासिक रहा, जिसके लिए AICYA टीम कई वर्षों से प्रयासरत था। बिहार प्रदेश संयोजक भरत चंद्रवंशी, झारखंड प्रदेश संयोजक अमित चंदेल, दिल्ली प्रदेश संयोजक विकाश चंद्रवंशी व बलराम चंद्रवंशी, उत्तर बंगाल प्रभारी राहुल चंद्रवंशी, उत्तर प्रदेश संयोजक आनन्द चंद्रवंशी के नेतृत्व में प्रदेश के लगभग सभी जिलों व पंचायतों में धूमधाम से सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय संयोजक व मुख्य सलाहकार ने कहा कि वर्तमान में हम पश्चिम सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अपनी परंपरा व उसके वैज्ञानिक महत्त्व को भूलते जा रहे हैं। हमें अपने बच्चों को अच्‍छी शिक्षा के साथ-साथ परंपराओं के बारे में भी बताना चाहिए ताकि उनमें सदाचार की भावना विकसित हो सके।

जरासंध जयंती के अवसर पर कुछ स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम व तरह-तरह के खेलों का भी आयोजन किया गया।